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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा / निदा फ़ाज़ली
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14:04, 11 अक्टूबर 2020
|रचनाकार= निदा फ़ाज़ली
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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
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