{{KKRachna
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNazm}}<poem>वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की <br>जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है <br>सुना है <br>वो किसी लड़के से प्यार करती है <br>बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है <br>न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ <br>बस उसी वक़्त जब वो आती है <br>कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है <br>मुझे <br>एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे <br>मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर <br>गली के मोड पे खडा हुआ सा <br>एक पत्थर <br>वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख <br>और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ <br>यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं <br>मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं <br>मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे <br>अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे<br/poem>