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उमीदे-मर्ग कब तक / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:08, 24 अक्टूबर 2020
किसी का हुस्न रुसवा हो गया पर्दे ही पर्दे में
न लाये रंग आख़िरकार तासीरे-नज़र कब तक
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