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[[Category:कविता]]
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जिनके जीने या मरने से
कहीं फ़र्क़ नहीं पड़ता
वे इलाज के लिए
सिविल अस्पताल में
क़तारबद्ध हैं
जिनका कहीं पहुँचना
ज़रूरी नहीं है
वे रेलों में सवार हैं
जिनको होना आँख से रिसता आँसू नहीं है न घर का न घाट कादिल से उमड़ता दर्द नहीं हैरिश्तों से जुड़ा दु:ख नहीं हैकेवल बेवक़्त मुसीबत हैकपूरे के लिएवे विद्यालयों में दाख़िल हैंबहन की अचानक मौत
दोपहर जेठ की अभी -अभी ही तो थासोच में कपूराकैसे लड़ा जाएगा भूख सेपहले ही इस बारखिंच नहीं पाई हैपेड़ बबूल केपहले पखवारे तक भीछाँव सारी सेठ महीने की हैपगार
यह क़रीब-क़रीबगिड़गिड़ाता है कपूराअपने मातम में शरीक लोगों कामाँगता है एडवांसफुसफुसाता वार्तालाप किताब खोलता हैअफ़सरबेआवाज़ लोगों काकरता है इन्कारख़ामोश विलाप नहीं हैकोई नियमनहीं है कोई प्रावधानसड़क सुनसान नितांत निजी मामला हैलोकतांत्रिक छूट के तहतलोग पगडंडियों परभटके हुए हैंआसमान से गिरे थेबहन का दाह संस्कार
फ़िलहाल
खजूर मेंसोचता है कपूराकाश काटता साँपपहली के बादमरती बहनपहली के आसपास.अटके हुए हैं
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