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है तो है (ग़ज़ल) / दीप्ति मिश्र
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05:09, 3 अक्टूबर 2008
कब कहा मैनें कि वो मिल जाये मुझको, मै उसे
गर
गैर
न हो जाये वो बस इतनी हसरत है तो है
Anonymous user
अनूप.भार्गव