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ईन्तेसाब - आज के नाम / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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09:53, 27 नवम्बर 2020
वो जो ख़ुश्बू-ए-गुल की तरह
अपने पैग़ाम पर ख़ुद फ़िदा हो गये हैं
...................................................................
'''[[समर्पण / फैज अहमद फैज / सुमन पोखरेल|यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्]]'''
</poem>
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