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रगत र हिलामा।
र आफूभित्र किताबैकिताब भएको अनुभूत गरे।
 
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'''[[ख़ुशनसीब था वह / आन्ना स्विरषिन्स्का / सिद्धेश्वर सिंह |इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
 
</poem>
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