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खै के थियो, भन्नुपर्ने / गुलजार / सुमन पोखरेल
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12:38, 10 दिसम्बर 2020
के थियो खै कुन्नि
भन्नुथ्यो तिमीलाई भेटेर आज।
'''[[न जाने क्या था, जो कहना था / गुलज़ार|इस कविता का मूल हिन्दी पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
</poem>
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