गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दुआ / परवीन शाकिर
1 byte removed
,
08:36, 7 अक्टूबर 2008
चांदनी
उस दरीचे को छूकर
मेरे नीम रोशन झरोखे में
आये
आए
, न
आये
आए
,
मगर
मेरी पलकों की तकदीर से नींद चुनती रहे
और उस
आंख
आँख
के
ख्वाब
ख़्वाब
बुनती रहे।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,720
edits