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00:07, 18 दिसम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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<poem>
हादसे आस पास बैठे हैं
लिखने वाले उदास बैठे हैं
झील, सागर बनाने वाले लोग
ले के ख़ाली गिलास बैठे हैं
चलिए कोशिश करें समझने की
क्यों परिंदे उदास बैठे हैं
आज करनी है गुफ़्तगू ख़ुद से
आज हम अपने पास बैठे हैं
सारे इंसान एक हैं लेकिन
हम बना कर क्लास बैठे हैं
तुमने जलवा दिखा दिया होगा
सब यहां बद हवास बैठे हैं
</poem>