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जब पपीहे ने पुकारा / अज्ञेय
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05:52, 8 अक्टूबर 2008
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जब पपीहे ने पुकारा-
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मुझे दीखा-
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दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी
मुकुर मे देखा गया हो दृश्य पानीदार आँखों के।
हँस दिया मन दर्द से
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’ओ मूढ! तूने अब तलक कुछ नहीं सीखा।’
जब पपीहे ने पुकारा- मुझे दीखा।
अनिल जनविजय
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