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ताल भर सूरज--—
बहुत दिन के बाद देखा आज हमने
और चुपके से उठा लाए--—जाल भर सूरज!
दृष्टियों में बिम्ब भर आकाश--—
छाती से लगाए
घाट
घास
पलाश!
तट पर खड़ी बेला
निर्वसन
चुपचाप
हाथों से झुकाए--—डाल भर सूरज!
ताल भर सूरज...!
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