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अहसास / शकुन्त माथुर
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13:27, 22 जनवरी 2021
मैं घबरा गई
भीतर की भाग-दौड़
गुफ़ाओं
मेम
मे
में
बाढ़ आ गई
हँसते-किलकते बच्चे की
तेज़ी से नाचती
मनचाही राहों पर
जल्दी से जल्दी गाँठ बनाने की
आतुरता
मेम
में
छू जाता है पहला सिरा--
अपनी आती बेहूदा हँसी को
अनिल जनविजय
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