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अजीब बात / नरेश सक्सेना

16 bytes added, 10:00, 24 फ़रवरी 2021
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जगहें खत्म हो जाती हैं
जब हमारी वहॉं जाने की इच्छाएंइच्छाएँखत्म ख़त्म हो जाती हैंलेकिन जिनकी इच्छाएं खत्म इच्छाएँ ख़त्म हो जाती हैं
वे ऐसी जगहों में बदल जाते हैं
जहॉं कोई आना नहीं चाहता
कहते हैं रास्ता भी एक जगह होता है
जिस पर जिन्दगी गुजार ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं लोग
और रास्ते पॉंवों से ही निकलते हैं
पॉंव शायद इसीलिए पूजे जाते हैं
हाथों को पूजने की कोई परंपरा परम्परा नहीं
हमारी संस्कृति में
ये कितनी अजीब बात है।है ।
</poem>
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