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किसान (कविता) / मैथिलीशरण गुप्त
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14:07, 26 फ़रवरी 2021
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हेमन्त में
बहुदा
बहुधा
घनों से पूर्ण रहता व्योम है
पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है
Sharda suman
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