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समुद्र वह है / केदारनाथ अग्रवाल
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17:23, 8 मार्च 2021
<poem>
समुद्र वह है
जिसका धैर्य छूट गया है
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दिककाल में रहे-रहे !
समुद्र वह है
जिसका मौन टूट गया है,
::
चोट पर चोट सहे-सहे !
</poem>
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