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अकेले हैं (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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08:38, 9 मार्च 2021
हम बहुत अकेले हैं
क़िस्मत के हाथों
उजड़े
हुए
ये
मेले हैं।
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साथ रहें बेगाने
वीरबाला
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