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करतल तुम्हारे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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04:08, 24 मार्च 2021
जहाँ तुम नहीं
वहाँ से चुपचाप चल दूँ।
'''तपन, जल, संघर्ष
'''
'''
पी जाऊँ घूँट -घूँटकर
'''
'''
भाल, पलकें, हथेलियाँ'''
जीभर जो चूम लूँ,
सुधापान व्यर्थ है
वीरबाला
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