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अनुबन्ध / कविता भट्ट
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15:02, 21 अप्रैल 2021
'''कौन लता किस पेड़ से लिपटे, इसके भी होते अनुबन्ध'''
उन्मुत्तफ़
उन्मुक्त
बहना है प्रफुल्ल रहना
जीवन की शर्त है जीवन्त रहना
हृदय की ध्वनि को यों न दबाएँ
वीरबाला
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