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सुबह सवेरे तुम उसे मत जगाना / अफ़अनासी फ़ेत / अनिल जनविजय
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10:55, 13 मई 2021
घबराहट से मन की धड़कन बढ़ती जाती
उसकी जवान छाती यूँ
धड़केइसीलिए
धड़के इसीलिए
इसीलिए दमकें यूँ उसके गालों के घेरे
मत जगाओ उसे अभी तुम,बस, इसीलिए
अनिल जनविजय
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