गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
न कोई तीर है पंछी, न कोई जाल रक्खा है / विजय कुमार स्वर्णकार
3 bytes added
,
00:22, 16 मई 2021
अँधेरो! जब गगन में सूर्य चमकेगा तो क्या होगा
तुम्हें
दरपण
दर्पण
दिखाने को ये दीपक बाल रक्खा है
तुम्हारी नर्मियाँ मौजूद हैं आँगन के फूलों में
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits