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14:16, 19 मई 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=तीतिलोप सोनुगा
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
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<poem>
यह है गहन, अन्धेरी चीज़
फँसी हुई सीने और गले के मध्य
गिड़गिड़ाते होंठ राहत के लिए शब्दों में ।
दो करोड़ लोगों की गम्भीर आहों का शोर
मर रही है हमारी माँ
जिसने जन्म दिया था हम सबको
वह पड़ी है शिथिल और
हम सब दिखा रहे है मानो
हमने नहीं सुना उसका गिरना ।
यह है अनकही विदा का पश्चाताप
यह है वाक्य के मध्य में जड़ हो गई जिह्वा
तेज़ी से फुसफुसाई गई अलविदा
आँसू जमे हुए आँखों में, अभी कितनी थी उम्र
मौन प्रार्थना की गई हताशा में ।
यह निरन्तर आती ध्वनि
खींचती है हमारा ध्यान,
पुकारती है बाहर हमें उदासीनता से
सूडान, युगाण्डा, केन्या,
रवाण्डा, ज़िम्बाब्वे, इथियोपिया,
नाइजीरिया
मर रही है हमारी माँ
जिसने धारण किया था हमें अपने हरे और लाल और स्वर्णिम रंग में
ये हैं मातृहीन बच्चे
सान्त्वनाविहीन रुदन
अन्तहीन शोक
यह है अपहृत बचपन
छीन लिए गए हॉप-स्कॉच, फ्रीज़ टैग और आँख मिचौली
ठण्डा और अन्धकारमय
ये हैं तोड़ दिए गए वादे
भोली आस्था
भयंकर अशिक्षा
ये हैं अपूर्ण स्वप्न
अधूरी छोड़ दी गई कहानियाँ
आशा जो छीन ली गई थके हुए हाथों से
आँखे भरी हुई गहन निराशा से
यह नहीं है बैठने और देखने का समय
शायद हो फिर कभी
अभी यह नहीं है, दूर दूर तक
शायद हो किसी और दिन ।
पर यह आज है, यह आज है ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए'''
Titilope Sonuga
Pandemic
It is this deep, dark, empty thing
caught between chest and throat
begging lips for relief in words.
The noise of 2 million heavy sighs
Our mother is dying
the one who bore us all
she lays in squalor and
we all pretend we never heard her fall
It is the regret of unsaid farewells
It is tongues caught mid sentence
Quick whispered goodbyes
Tears frozen in eyes, too young still
quiet prayer, cast up in desperation
This steady rumble
commands our attention,
calls us from our apathy
Sudan, Uganda, Kenya,
Rwanda, Zimbabwe, Ethiopia,
Nigeria
Our mother is dying
the one who held us in her green and red and gold
It is motherless children
Cries un-soothed
Bottomless grief
It is stolen childhood
interrupted hop-scotch, freeze tag, hide and seek
cold and bleak
It is broken promises
Naïve trust
Gross mis-education
It is dreams unfulfilled
Stories left unfinished
Hope snatched from weary hands
Eyes deep with despair
This is not, sit and wait
Maybe later
This is not, so far away
Maybe some other day
It is today, it is today
</poem>
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