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तेरा मिलन / हरदीप कौर सन्धु

936 bytes added, 18:08, 27 सितम्बर 2021
[[Category:चोका]]
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तेरा मिलनसुना जाता है मुझेहर पल हीअनकहा -सा दर्दबहता रहाजो तेरी अँखियों सेनिचौड़ी गईअधूरे अरमानकठिन राहअब कहाँ से लाऊँपीर खींचती कोई जादुई दवाधीरे -धीरे सेतेरे खुले ज़ख्मों पेरखने को मैंउठी बिरहा -हूकबेनूर हुई लबों पे आ लौटतीकाँटों चुभतीतीखी -सी टीस नेहौले -हौले हीसमय की तल पेयूँ फ़ाहे रखखुद ही हैं भरने तेरे दिल के अकथ औ असह्य गहरे दर्द- ज़ख्म !
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