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|रचनाकार=अदिति वसुराय
|अनुवादक=लिपिका साहा
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<poem>
दहशत से निकलो ।
स्नान करो ।

उठाकर फेंको फटी हुई ब्रा, टूटा काजल और
रफू की हुई दुपट्टे की इस गृहस्थी को ।

निकलकर आओ तुम, मोनोलाग लिखो ।
लेडी मैकबेथ को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजो

प्रकाश फैलाकर बैठो ।
लिखो...

'''मूल बांगला से अनुवाद : लिपिका साहा'''
</poem>
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