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अध्याय १८ / भाग १ / श्रीमदभगवदगीता / मृदुल कीर्ति
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आसक्ति मना जिन वृति रह्यो,
सुनि पार्थ! महाबाहो मोसों,
अस
ारणा
धारणा
राजस जात कह्यो.
<span class="upnishad_mantra">
यया स्वप्नं भयं शोकं विषादं मदमेव च।
Arti Singh
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