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कन्नम्मा, मेरी प्रिया-1 / सुब्रह्मण्यम भारती
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15:23, 23 नवम्बर 2021
चान्द और सूरज सी उज्ज्वल हैं
तेरी आँखें कन्नम्मा !
आसमान में उड़ने
के लिए
वाला कँवल
हैं
तेरी पाँखें कन्नम्मा !
रत्न जड़ी है वो गहरी नीली
रेशम की तेरी
कान्तियुक्त
कान्तिमय
साड़ी !
आधी रात में सितारों भरी जैसे
चमक रही आकाशगंगा हमारी !
अनिल जनविजय
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