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जलता हुआ पेड़ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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23:34, 23 नवम्बर 2021
और फिर गिर पड़ता है चरमराकर, नाचती हैं चिनगारियाँ
चारों ओर ।
1913
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
अनिल जनविजय
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