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तन भी दुखिया मन भी दुखिया / कन्हैयालाल मत्त
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09:22, 3 दिसम्बर 2021
दब्बू स्वर है
दम्भ मुखर है
किसे
कहां
कहाँ
तक यों
बहकायें
बहकाएँ
?
अच्छे गीत कहाँ से लाएँ ?
</poem>
अनिल जनविजय
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