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|रचनाकार=निकानोर पार्रा
|अनुवादक=उज्ज्वल भट्टाचार्य
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<Poem>
सैन्टियागो, चिली में
दिन बेहद लम्बे होते हैं :
एक ही दिन में कई-कई शाश्वत काल ।

समुद्री घास बेचने वालों की तरह
खच्चर की पीठ पर सवार
तुम जम्भाई लेते हो – और जम्भाई लेते हो।
.
जबकि हफ़्ते छोटे होते हैं
महीने भागते जाते हैं
और साल तो उड़ते चले जाते हैं ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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