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कभी मीत के कंठ लगें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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06:43, 21 दिसम्बर 2021
गल जाएँगे दुख सभी, मिट जाएगी पीर।
'''कभी मीत के कंठ लगें, मेरे प्राण अधीर।'''
(
17 दिस
21-12
21)
</poem>
वीरबाला
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