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17:51, 23 दिसम्बर 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी
|अनुवादक=असद ज़ैदी
|संग्रह=
}}
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<poem>
यह मेरे ध्यान में नहीं रहता
कि प्रसन्न हूँ या दुखी ।
लेकिन एक सुकून दिमाग़ में
रहता है —
कि उस महान गिनती में
(जिस गिनती से मुझे नफ़रत है)
जहाँ इतनी सारी सँख्याएँ हैं,
मैं कहीं भी
किसी मद में शामिल नहीं । कुल
योग में मुझे गिना ही नहीं गया ।
मेरी ख़ुशी के लिए यही बहुत है ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी'''
</poem>
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