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17:08, 16 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
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<poem>
एक आवाज़ में होती हैं
कई आवाज़ें —
कभी सुसंगत, कभी विसंगत,
स्मृति और अनुभव की
अलग-अलग परतों से
ऊपर उठती हुईं
एक-दूसरे को धकेलती हुईं I
नहीं पता,
क्या अभिव्यक्त हो पाता है
और क्या नहीं
और हम जीवन भर
विचार का पीछा करते हैं
और सपने बुनते हैं !
</poem>