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09:40, 17 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शील
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<poem>
खाते - पीते दहशत जीते,
घुटते - पिटते बीच के लोग,
वर्ण धर्म पटखनी लगाता,
माहुर खाते बीच के लोग,
लोभ - लाभ की माया लादे,
झटके खाते बीच के लोग,
घना समस्याओं का जंगल ,
कीर्तन गाते बीच के लोग,
नीचे श्रमिक विलासी ऊपर,
बीच में लटके बीच के लोग ।
</poem>