गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
...के नाम / अलेक्सान्दर पूश्किन
No change in size
,
07:42, 20 फ़रवरी 2022
बीते वर्ष, बवण्डर आए
हुए तिरोहित स्वप्न सुहाने,
किसी परी-सा
रुप
रूप
तुम्हारा
भूला वाणी, स्वर पहचाने।
हृदय हर्ष से फिर स्पन्दित है
फिर से
झंखृत
झंकृत
अन्तर-तार,
उसे आस्था, मिली प्रेरणा
फिर से आँसू, जीवन, प्यार।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits