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13:20, 26 अप्रैल 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़
|अनुवादक=अमर नदीम
|संग्रह=स्थगित स्वप्न / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:अंग्रेज़ी भाषा]]
<Poem>
कितना
उबाऊ है
हमेशा ही
रहना
ग़रीब !
'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम'''
—
'''लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए'''
Langston Hughes
Ennui
It's such a
Bore
Being always
Poor.
</Poem>
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