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07:51, 30 अप्रैल 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
|संग्रह=
}}
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<Poem>
वे उन डालों को काटते रहे, जिन पर वे बैठे थे
चीख़-चीख़कर वे बताते रहे
कैसे और तेज़ी से काटा जा सकता है उसे, और फिर गिर पड़े
नीचे गहराई में, और जो उन्हें देख रहे थे
डाल काटते हुए, उन्होंने अपने सिर हिलाए और
वे डाल काटते रहे ।
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>