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खोलो तो द्वार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / प्रयाग शुक्ल
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19:15, 7 मई 2022
केशों में है कैसा फूल
लौटी हैं
गाएं
गायें
, पाखी भी लौटे
लौटे हैं वे अपने नीड़
पथ जितने सारे, सारे जगत के,
अनिल जनविजय
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