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हेमलेट / बरीस पास्तेरनाक/ अनिल जनविजय
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10:13, 28 मई 2022
मैं अकेला औ’ यहाँ ढोंग में है सब डूबा
रंगभूमि नहीं है ये ज़िन्दगी है अजूबा
1946
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Я один, все тонет в фарисействе.
Жизнь прожить — не поле перейти.
1946
</poem>
अनिल जनविजय
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