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07:15, 22 जून 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रदीप त्रिपाठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
(1)
जब यह पता चला
कि ईश्वर तो पहले ही मर चुका है
मैंने अनुमान लगाया
वह जरूर तंग आ चुका रहा होगा
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली।
(2)
मरना तो था ही...
ईश्वर का मरना अकारण नहीं रहा होगा
वह तो अपनी मौत से भी मर सकता था
गोया
वह समझ गया हो कि
उसे मार दिया जाएगा
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली।
(3)
ईश्वर धनवान था
ईश्वर बलवान था
ईश्वर विवेकवान था
ईश्वर धैर्यवान था
बस
ईश्वर के पास एक चीज की कमी थी
ईश्वर प्रतिरोध नहीं कर सकता था
ईश्वर पश्चाताप भी नहीं कर सकता था
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली।
(4)
उसे बता दिया गया था
ईश्वर अजर-अमर है
ईश्वर पहली और अंतिम सत्ता है
जब उसे यह पता चला कि
यह महज प्रोपोगैंडा है
उसकी भी मृत्यु निश्चित है
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली।
(5)
ईश्वर का कोई धर्म नहीं था
ईश्वर की कोई जाति भी नहीं थी
ईश्वर की कोई भाषा भी नहीं थी
ईश्वर समझ गया था
उसके साथ भी साजिश हो सकती है
उसे भी युद्ध करना पड़ सकता है
ईश्वर ताकतवर था
ईश्वर साहसी नहीं था
पर
ईश्वर समझदार था
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली।
</poem>