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07:17, 22 जून 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रदीप त्रिपाठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
कविता लिखना मेरे लिए
प्रेम-पत्र लिखना है...
शायद पहली बार लिख रहा था एक कविता
तुम्हारे लिए
यकीनन पूरी तरह काँप गया था
जैसे रेलगाड़ी के गुजरने से
काँप जाते हैं रेलवे के पुल
प्रेम में कविता का बसंत होना
वैसा ही है
जैसे कि दिन होना
एक नदी...
और रात होना
एक समुद्र...
</poem>