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स्वप्न / जीवनानंद दास / चित्रप्रिया गांगुली
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18:58, 28 जून 2022
रहेंगे मनुष्य के स्वप्न तब :
वह चेहरा और मैं रहूँगा उस स्वप्न में ।
'''मूल बांग्ला से अनुवाद : चित्रप्रिया गांगुली'''
</poem>
अनिल जनविजय
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