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ढाकबनी / गिरिजाकुमार माथुर
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19:51, 7 जुलाई 2022
ताड़, तेंदू, नीम, रेंजर
चित्र लिखी खजूर
पांतें
पाँतें
छाँह मंदी डाल जिन पर
पूर्व से उठ चाँद
आँधा
आधा
स्याह जल में चमचमाता
धन वनस्पति भरे जंगल
और यह जीवन
भिखरी
भिखारी
शाप नल का घूमता है
वीरबाला
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