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पद्मनी / अर्जुन देव चारण

54 bytes added, 07:00, 9 जुलाई 2022
कोई सवाल मेरे पति से
जिसकी मर्यादा रखने
मरना पड़ा मुझे। '''अनुवाद : नीरज दइया'''</Poem>
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