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08:59, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
उण कह्यौ - ‘डूब’
पूछतौ कठै, तौ तोहीन व्हैती
पण डूबूं तो कठै?
औ ‘कठै’ कैवणौ अणूंतौ कावळ व्है
अेक बोबाड़िया सारू ई
अर ‘कटकारौ’ सुगनिया सारू माड़ौ व्है
उण सोच्यौ -
‘औ कुतरकियौ डूबण सूं नटतौ
कठैई नट नीं जावै
संसार रा सबसूं पवीत सबद रा अरथ नै’
औ हास-हतआस नै उडीकण रौ सवाल नीं
औ निकेवळी प्रीत रै अरथ रौ सवाल हौ
उण दूजी वळा खरायौ
अर म्हैं डूबग्यौ...
</poem>
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