918 bytes added,
09:11, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जगत री तमाम भासावां में
करणी चावूं
उडीक सबद रौ उल्थौ
पछै ठाळ अेक सागीड़ै
सबद री अवाज
सुथराई सूं चेपणी चावूं
खुद रै लिलाड़
पछै सै कीं बिसराय परौ
पाछौ जावणी चावूं वठै
जठा सूं वहीर व्हियौ हौ
अतरजांमी कदैक तौ पूरैला
किणीक भासा में
उडीक रौ अरथ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader