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|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
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|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
बोलो-बतावौ ओळूं री कांईं ओळख,
अर ओळूं रौ किस्यौ गांव है?

सूरज जद कोनी व्है अळघौ-नेड़ौ। चानणै री छांट रौ भरोसौ ई कोनी व्है। अंधारनगरी, अंधारै रौ आंधौ राज व्है। इण अंधारै तळै दट्योड़ौ अेक रूड़ौ विचार परगटण रो औसर उडीकै। बख लाग्यां किसी अेक माड़ी ठौड़ अेक इकलापी अेकलौ इण अंधारै नै फिरोळतौ कुचमाळै, वानी दाकळ पण धकै ई अंधारौ। पछै आपरौ अंतस फिरोळै। कीं कोनी ओळै-दोळै। भाग-जोग सूं-

अैड़ै अंधारै उछळै अेक सिणफिण तिणग
ओळूं इणरौ इज नांव व्है।
</poem>
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