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00:16, 26 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कृष्णकुमार ‘आशु’
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
मा मांग्यो म्हनै
भोलानाथ सूं
राख्या बरत
अर
करी तपस्या
भूखी रैय'र
म्हारै जळम पछै भी
मा तो रैई भूखी ई
कदै ई म्हारै
बीमार पड़न पर
चिंता में
तो
कदै ई म्हारै
रूस'र रोटी नीं खावण सूं।
आखरी बगत भी
म्हूं नीं भर सक्यो
मा रो पेट
क्यूंकै
बधती मैं'गाई में
म्हारी प्राथमिकता
म्हारा टाबरा हा
मा नी ही।
</poem>