969 bytes added,
00:22, 26 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्णकुमार ‘आशु’
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जद भी पड़तौ बीमार
मा नै
नींद नीं आंवती
म्हारै इलाज सारू
मा कर देंवती
आपरी कई जरूरतां रो त्याग।
आज
मा बीमार है,
म्हानै कींया आवै नींद ?
नीं....नीं....नीं
चिंता मा री नीं है।
चिंता रो कारण तो
डॉक्टर री फीस
अर मै गी दवायां है।
अबै दवायां ल्यावां
या करां
टाबरां री जरूरतां पूरी।
</poem>