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कोंपल तक झुलसा गई / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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12:47, 5 अगस्त 2022
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गों
युगों
- युगों तक भी रहे,अपना यह सम्बन्ध।
करें टूटकर प्यार हम,बस इतना अनुबन्ध।।
92
मन में घुमड़े दर्द जो,बहे नयन जलधार।
सीने से आकर लगो,पोंछूँगा हर बार।।
</poem>
वीरबाला
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