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आज़ादी सबको मिले / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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04:46, 20 अगस्त 2022
गिर नाली के कीच में, माँगे सबकी खैर।।
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न जाने
इस जीवन में
कब कहाँ
, हुई कौन-सी चूक ।
कैसे उनसे
पीर
भला कैसे
कहें, आज हुए हम मूक ॥
</poem>
वीरबाला
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