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गिर नाली के कीच में, माँगे सबकी खैर।।
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न जाने इस जीवन मेंकब कहाँ , हुई कौन-सी चूक ।कैसे उनसे पीर भला कैसे कहें, आज हुए हम मूक ॥
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